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विधायका अनुराधा राणा और सुदर्शन जस्पा के बीच तीखी नोक – झोंक, नहीं हो पाया हल आंदोलन का मसला –
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सुदर्शन जस्पा ने कहा यदि हमारी मांगें नहीं मानी गई तो उठेगी मेरी अर्थी –
लाहुल स्पीति, खबर आई ब्यूरो
शनिवार को जाहलमा में सांकेतिक धरने का पांचवा दिन रहा। सांकेतिक धरने के इस बीच विधायक अनुराधा राणा ने दूसरी बार अनशनकारियों से मिलकर सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों से अवगत करवाया। विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जाहलमा नाला और चद्रभागा नदी के तटीकरण के लिए दो करोड़ रुपये की राशि जारी कर दिए है। उन्होंने अनशनकारियों से अपील की है कि आंदोलन छोड़ कर सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों का साथ दे। दो करोड़ की रुपये की राशि जारी होने के बाद प्रभावित छह पंचायत के प्रतिनिधीयो ने भी अपने क्षेत्र के लोगों से अनशन खत्म करने की अपील की है।
लिंडूर गाँव के नीचे भूस्खलन के कारण चंद्रभागा तट के साथ भी भारी भूस्खलन हुआ है जिस कारण जोबरंग, जाहलमा, हालिंग, फूड़ा, जसरथ, जुंडा और ताडंग के जमीनों का भारी नुकसान हुआ है। लिहाजा उक्त पंचायतों की महिला मंडल पिछले पांच दिनों से सांकेतिक धरने पर बैठे हैं। दो दिन पहले ही विधायक अनुराधा राणा इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री सुक्खू से मिली जिसके बाद हिमाचल सरकार ने राहत कार्यों के लिए दो करोड़ रुपयों की पहली किश्त जारी की है। विधायक ने बताया कि इस राशि से पहले प्रभावित क्षेत्र में काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जैसे बजट की आवश्कतानुसार और बजट मांगा जाएगा। अनुराधा राणा ने कहा कि राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार लगभग 25 करोड का डीपीआर भेजी गई है, इसके लिए जल्द वह एक प्रतिनिधिमण्डल के साथ दिल्ली जाएगी। विधायका ने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ लोग राजनीति कर रहे है उन को हमारा काम को पचा नहीं पा रहे है।
उधर,सांकेतिक अनशन के संयोजक सुदर्शन जस्पा ने कहा था जब तक सरकार राहत कार्य के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान नहीं कर लेती है उनका आंदोलन जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कोई राजनीति का नहीं बल्कि प्रभावित लोगों के हकों की लड़ाई है उन्होंने कहा उम्मीद है कि राज्य और केंद्र सरकार प्रभावित क्षेत्र के लिए पर्याप्त बजट जारी करेगी। सुदर्शन जस्पा ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि हमारी मांगों को पूरा नहीं हुई तो आमरण अनशन में तब तक रहूंगा जब तक मेरी अर्थी नहीं उठेगी।
इस दौरान अनुराधा राणा और सुदर्शन जस्पा के तीखी नोक झोंक भी हुई लेकिन आंदोलन का कोई हल नहीं निकला।