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कवर स्टोरी  – छोटा भंगाल घाटी में तीन गांव में जहां बीड़ी, सिगरेट व चमड़े की वस्‍तुओं ले जाने पर देव आज्ञा अनुसार दी जाती है सजा

कवर स्टोरी  – छोटा भंगाल घाटी में तीन गांव में जहां बीड़ी, सिगरेट व चमड़े की वस्‍तुओं ले जाने पर देव आज्ञा अनुसार दी जाती है सजा

  • कवर स्टोरी  – छोटा भंगाल घाटी में तीन गांव में जहां बीड़ी, सिगरेट व चमड़े की वस्‍तुओं ले जाने पर देव आज्ञा अनुसार दी जाती है सजा –

संपादक, खबर आई

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के बैजनाथ उपमंडल के अंतर्गत आने वाली दुर्गम छोटाभंगाल घाटी में तीन गांव ऐसे भी हैं जहां बीड़ी, सिगरेट व चमड़े की वस्‍तुओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। यहां भूल कर भी ऐसी वस्‍तुएं लेकर नहीं जा सकते है। छेरना, जुधार व अंदरली मलाह तीन ऐसे गांव हैं जहां अब भी देवज्ञा लागू है। इन गाँवों में स्थित देवी – देवताओं की आज्ञा की अवहेलना करने पर सभी को प्राकृतिक आपदा का दंश झेलना पड़ता है साथ ही उल्‍लघंना करने पर देव आज्ञा अनुसार सजा दी जाती है। यह बात आपको बेशक कुछ अटपटी लगे लेकिन यह सही है।

कांगड़ा जिला की दुर्गम छोटाभंगाल घाटी के दो गांवों में देवी-देवताओं के आदेश ही सर्वोपरी माने जाते हैं। लंबाडग दरिया के किनारे पर इस घाटी के लोहारड़ी से ठीक ऊपर दोनों किनारों पर बसे छेरना, जुधार व अंदरली मलाह गांवों में इसी आज्ञा के चलते किसी को भी गांव की सरहद के अंदर बीड़ी, सिगरेट से लेकर तंबाकू के अन्य उत्पाद व चमड़े का कोई भी सामान ले जाने की अनुमति नहीं है। ऐसा अब से नहीं है बल्कि कई पीढ़ीयों से चल रहा है। जब भी कोई इस आज्ञा की अवेहलना करता है तो यहां के लोगों को प्राकृतिक आपदा का कई रूपों से दंश झेलना पड़ा है।

छेरना गांववासियों का कहना हैअगर कोई व्यक्ति जानबूझ कर या फिर भूल से इन गांवों में मनाही के बावजूद ऐसी वस्तुएं ले जाए तो वहां के मंदिरों के गूर (पुजारियों) को तुरंत इसका समाधान करना पड़ता है। जब भी इन गांवों में कोई ऐसी वस्तुएं लेकर प्रवेश करता है तो यहां के मंदिरों के पुजारियों को इसका पता चल जाता है। उसके बाद मंदिर में ही पुजारी को देवी व देवता आ जाता है और फिर देवशक्ति से उस व्यक्ति सामने लाया जाता है जिसने उक्त वस्तुयों को गांव के अंदर गया है। दोषी व्यक्ति को देवता का गुर सजा बतौर जुर्माना भरना होता है तथा माफी मांग कर फिर से गलती न दौहराई जाए बचन देना पडता है। इन गांव में आजतक कई लोग जुर्माना भर चुके है।

यहां के बुजुर्ग बताते है कि गांव में लोगों के अपने देवी-देवताओं के मंदिर है। हर देवी – देवता का अपना अलग आदेश होता है जो पुजारी के माध्यम से बताया जाता है। छेरना व अंदरली मलाह तथा जुधार गाँव में बीड़ी, तंबाकू के अन्य उत्पाद व चमड़ा ले जाने पर प्रतिबंध है। इसको लेकर गांव के लोगों ने बाकायदा गांव को जाने वाले रास्तों में सूचना बोर्ड भी लगाए हैं ।

इस घाटी में कई गांव हैं लेकिन इन गांवों में देवी–देवताओं के मंदिरों को छोड़ कर कहीं पर भी किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है। लोग भी इस पर पूरी आस्था रखते हैं औैर यह आज्ञा न टूटे इसका पूरा ध्यान रखते हैं ताकि यह घाटी पूरी तरह से प्राकृतिक आपदा से बची रही। ऐसे कुछ गांव जिला मंडी की चौहार घाटी मे भी स्थित है। आपकी जानकारी के अनुसार यह दुर्गम छोटा भंगाल घाटी जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला से करीब 150 किलोमीटर दूर है जबकि बैजनाथ से 80 किलोमीटर की दूरी पर है।

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