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ढालपुर अग्निकांड में तबाह हुए दुकानों का मसला उलझता नजर आ रहा है, हाईकोर्ट के आदेशों का भी हुआ उल्लंघन!
कुल्लू, खबर आई
शनिवार देर रात जिला मुख्यालय पर ढालपुर में आग लगने से तबाह हुई अस्थाई दुकानों को लेकर विवाद बढ़ता नजर आ रहा है।
गौरतलब है कि बीती रात ढालपुर में आग लगने से आठ स्थाई दुकान जलकर राख हो गई। हालांकि रात को ही पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंच गया था। लेकिन अभी तक प्रभावितों को राहत राशि का आवंटन नहीं हो पाया है।
प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आग लगने से तबाह हुई दुकानों का मामला पूरी तरह उलझ गया है। क्योंकि नगर परिषद द्वारा बनाई गई यह अस्थाई दुकानें जिन लोगों को आवंटित की गई थी, उन्होंने यह दुकानें सबलेट करके अन्य लोगों को दे रखी थी। ऐसे में प्रशासन इस बात को लेकर असमंजस में है कि राहत किन लोगों को दी जाए।
मिली जानकारी के मुताबिक प्रभावितों की जो सूची प्रशासन द्वारा तैयार की गई है, असल में वह लोग इन दुकानों के मालिक ही नहीं है। प्रशासन द्वारा नगर परिषद से असल मालिकों की सूची मांगी गई है, जिनको नगर परिषद द्वारा दुकानें आवंटित की गई थी।
लेकिन हैरत इस बात की है कि नगर परिषद दोपहर बाद तक भी प्रशासन को दुकानों के असल मालिक की सूची मुहैया नहीं करवा पाया है। ऐसे में या तय है कि इन दुकानों का मामला प्रशासनिक तौर उलझ जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ढालपुर में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा केवल समाचार पत्र विक्रेताओं को अस्थाई दुकान बना कर देने का आदेश दिया गया था। लेकिन नगर परिषद द्वारा यहां पर कुछ ऐसे लोगों को भी दुकानें बना कर दी गई। जिनका समाचार पत्र बेचने से कोई संबंध नहीं था। इसके साथ ही नगर परिषद द्वारा फ्रूट विक्रेताओं को भी अस्थाई दुकानें चलाने के लिए स्थान आवंटित किए गए हैं। जिनके असल मालिक और लोग हैं।
ऐसे में अग्निकांड से प्रभावित हुए दुकानदारों को प्रशासन कि नियमों के तहत राहत उपलब्ध करवाता है, यह प्रशासन के लिए भी काफी पेचीदगी भर मामला रहेगा।
वही अब इस बात का भी खुलासा होना तय है कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार दो समाचार विक्रेताओं के बहाने कितने लोगों को किस लिए यहां पर दुकान आवंटित की गई थी।