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हस्तकला द्वारा तैयार किए उत्पादों की मांग विदेशों में भी, 30 से भी अधिक देशों में बिक्री के लिए भेजे जा रहे है – कंगना रनौत, सांसद

हस्तकला द्वारा तैयार किए उत्पादों की मांग विदेशों में भी, 30 से भी अधिक देशों में बिक्री के लिए भेजे जा रहे है – कंगना रनौत, सांसद
  • हस्तकला द्वारा तैयार किए उत्पादों की मांग विदेशों में भी, 30 से भी अधिक देशों में बिक्री के लिए भेजे जा रहे है – कंगना रनौत, सांसद

कुल्लू, खबर आई मनाली

मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद कंगना रनौत के द्वारा मनाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शरन गांव में आज क्राफ्ट हैंडलूम विलेज हथकरघा शिल्प केंद्र का उद्घाटन  किया गया। अपने संबोधन में सांसद ने कहा कि यह परियोजना यंहा के हथकरघा के कार्य से जुड़े हुए लोगों के लिए एक वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि योजना यहा के बुनाई करने वाले पट्टू, शॉल बनाने वाले लोगो के लिए मददगार साबित होगी।
   उन्होंने कहा कि आज हमारे बुनकर लोगों के काम की विदेशों में बहुत मांग है। यहां के हस्तकला के उत्पाद 30 से अधिक देशों में बिक्री के लिए भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां के स्थानीय पारम्परिक जूती जिसे पूलें कहा जाता है, इनके बुनाई में हमें यहां के हस्तकला की कारीगरी का नमूना देखने को मिलता है। यह आरामदायक होने के साथ साथ इको फ्रेंडली भी है। इस दौरान सांसद द्वारा शिल्प केंद्र का दौरा भी किया और स्थानीय महिलाओं के द्वारा तैयार किए उत्पादों का भी निरीक्षण किया। इसके साथ ही उन्होंने यहां पर लगाई गई प्रदर्शनी का भी जायजा लिया। वहीं इस दौरान सांसद के द्वारा विभिन्न लाभार्थियों को प्रमाण पत्र और उपकरण भी वितरित किए गए।
इस दौरान मनाली विधानसभा क्षेत्र से विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार का इस परियोजना के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने हथकरघा से जुड़े समस्त लोगों को बधाई भी देते हुए कहा कि राष्ट्र के स्तर पर यहां के लोगों ने हथकरघा के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र के लोगों को पर्यटन व्यवसाय में भी लाभ मिलेगा ।
उपायुक्त कुल्लू तोरुल एस रवीश  ने सभी का स्वागत करते हुए जानकारी दी कि सात अगस्त 2020 को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर, राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत ‘शिल्प हथकरघा गांव शरण’ को इस योजना के अंतर्गत सम्मिलित किया गया था। इस परियोजना की कुल लागत 163.02 लाख रुपये है जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 138.57 लाख तथा राज्य सरकार का हिस्सा 24.45 लाख है।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देना तथा हथकरघा शिल्प का संरक्षण के लिए प्रयास करना है। इसके द्वारा ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करके पारंपरिक कला और शिल्प के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे स्थानीय समुदाय को आजीविका के अवसर प्रदान किये जायेंगे। इस परियोजना के अंतर्गत  25 बुनकरों को हथकरघा एवं सहायक उपकरण का वितरित किये जायेंगे, बुनाई के क्षेत्र में 20 बुनकरों का कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण इत्यादि की सहायता दी जाएगी। इसके अंतर्गत कार्यशाला निर्माण के लिए 9 बुनकरों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी साथ ही 15 बुनकरों के लकड़ी के घरों की पॉलिशिंग तथा 4 बुनकरों के घरों की पेंटिंग कि जायेगी। इस  परियोजना के अंतर्गत बुनकरों के घरों में 42 सोलर लाइट तथा 17 सोलर स्ट्रीट लाइट की स्थापना का भी लक्ष्य रखा गया है ।
  इसके अतिरिक्त इस परियोजना के अंतर्गत मुख्य द्वार का विकास करना, कैफे, लाइब्रेरी आदि के साथ एक सामान्य कार्यशाला की स्थापना,जल निकासी व्यवस्था के साथ पथ निर्माण का कार्य, रेलिंग पर स्थानीय कुल्लवी डिजाइन की पेंटिंग इत्यादि कार्यों को भी पूरा किया जाएगा ताकि विश्व के पटल पर इस गांव को हथकरघा एवं पारंपरिक बुनाई कला के क्षेत्र में एक आदर्श गाँव के रूप में स्थापित किया जा सके।
कार्यक्रम में स्थानीय लोगों द्वारा भी अतिथियों का पारंपरिक अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर डेवलपमेंट कमिश्नर वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार, विशेष नौटियाल, अतिरिक्त जिला आयुक्त अश्वनी कुमार सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

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