पंचायती राज भरेगा 3615 मेट के पद!
वित्त विभाग के हरी झंडी के इंतजार में सुक्खू सरकार
शिमला, खबर आई सूत्र
हिमाचल प्रदेश की सभी पंचायतों में सुक्खू सरकार “मेट’ रखने पर विचार कर रही है। इनकी नियुक्ति को लेकर पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। सरकार ने मेट की नियुक्ति से पहले वित्त विभाग को फाइल भेजी है।
वित्त विभाग की हरी झंडी मिली तो पंचायतों में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) मजदूरों की हाजिरी कार्यस्थल पर लगाने का काम “मेट’ के हवाले होगा। अभी यह काम ग्राम रोजगार सेवक (GRS) या वार्ड मेंबर कर रहे हैं।
जीआरएस और वार्ड मेंबर को इस काम का अतिरिक्त मानदेय नहीं दिया जाता। इससे खासकर वार्ड मेंबर मनरेगा मजदूरों की हाजिरी का काम करने के लिए तैयार नहीं है। वहीं जीआरएस भी इस काम को अच्छे से नहीं कर पा रहे, क्योंकि 3-3 पंचायतों के लिए एक-एक GRS तैनात है। प्रदेश की कई पंचायतें ऐसी हैं, जहां एक ही समय में 25 से 30 वर्क मनरेगा के चलते हैं। ऐसे में एक जीआरएस के लिए 3-3 पंचायतों में 75 से 90 वर्क-प्लेस पर जाकर सुबह-शाम प्रत्येक मनरेगा मजदूर की हाजिरी लगाना संभव नहीं है।
वहीं केंद्र ने मनरेगा मजदूरों की हाजिरी ऐप से अनिवार्य कर दी है। इसे देखते हुए विभाग ने “मेट’ रखने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। इन्हें कितना मानदेय दिया जाए, तैनाती व शैक्षणिक योग्यता क्या होगी? इन्हें रखने से सरकार पर सालाना कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा। सरकार इन सब पहलुओं को देख रही है।
सूत्रों की मानें तो यदि वित्त विभाग की हरी झंडी मिली तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू पंचायतों में मेट रखने का ऐलान आगामी वित्त वर्ष के बजट भाषण में कर सकते हैं।