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स्पीति – हंसा गांव में सिंचाई कूहल विवाद फिर गर्माया, गांव वासियों ने प्रशासन से फसल बचाने की गुहार लगाई

स्पीति – हंसा गांव में सिंचाई कूहल विवाद फिर गर्माया, गांव वासियों ने प्रशासन से फसल बचाने की गुहार लगाई
  • हंसा गांव में सिंचाई कूहल विवाद फिर गर्माया, गांव वासियों ने प्रशासन से फसल बचाने की गुहार लगाई –

लाहुल स्पीति, खबर आई काजा

स्पीति घाटी के हंसा गाँव में सिंचाई के लिए पानी मामला फिर से गर्मा गया है। जहां हंसा गांव के किसानों को अपनी फसल की चिंता सताने लगी है। गांव वासियों को उम्मीद थी कि प्रशासन के हस्तक्षेप से फसलों को बचाया जा सकें, लेकिन वो उम्मीद भी फीकी पड़ती नजर आ रही है। गांव वासियों ने बताया कि पानी का एक स्त्रोत है, जहां से गाँव की 70% से अधिक आबादी सिंचाई के लिए पानी का उपयोग पिछले कई दशकों से कर रहा है। लेकिन इस पानी के कुहल पर उपजे विवाद का स्थाई समाधान निकालने में शासन प्रशासन भी असफल रहे हैं। इस वर्ष भी इस कुहल पर विवाद खड़ा हुआ है जिसके सन्दर्भ में उपमंडल अधिकारी और राजस्व विभाग को हमने समय पर स्थिति से अवगत कराया। राजस्व विभाग की ओर से कानूनगो और वृत्त पटवारी मौके पर पहुंचे लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

उन्होंने कहा कि गांव वासियों ने विधायक महोदय को भी अवगत कराया और उन्होंने उपमंडल अधिकारी को मौके पर भेजने का आश्वासन दिया। लेकिन दो दिन के बाद भी उपमंडल अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे तो ठोशम (हंसा) वासियों ने काजा जा कर उपमंडल अधिकारी से समस्या का समाधान करने का निवेदन किया और समाधान नहीं होने की स्थिति में अपने हक के लिए शांतिपूर्ण हड़ताल पर बैठने की अनुमति मांगी। गांव वासियों का आरोप है कि न ही उन  की समस्या का समाधान हुआ और न ही हड़ताल पर बैठने की अनुमति दी गई। खेतों की बिजाई किए हुए लगभग 70 से अधिक दिन बीत चुके हैं और अभी तक पानी की एक बूंद तक नहीं दे पाए हैं किसान जिससे खेतों की सूखने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। खेतों के सूखने की स्थिति में किसानो के परिवारो को रोजी रोटी के साथ साथ पशुधन के लिए चारे की समस्या का भी सामना करना पड़ेगा।

अब इस स्थिति मे कुछ सवाल उत्पन्न होते है जो हम शासन प्रशासन से पूछना चाहते है। कुहल का उपयोग सिंचाई के लिए किसान पिछले 6 -7 पुश्तों से करते आ रहे है उस पर उनका कोई अधिकार नहीं रहता है।

गांव वासियों ने कहा कि प्रशासन जन समस्याओं को लेकर इतना संवेदनशील भी नहीं हो सकता कि बात किसानों की रोजी रोटी तक पहुंच जाए। क्या प्रशासन को हम किसान इतने उग्र दिख रहे है कि हड़ताल पर बैठने से उन्हें कानून कानून व्यवस्था डर लग रहा है जबकि इससे पहले भी स्पीति मंडल में कई हड़ताल और विरोध प्रदर्शन हो चुके है। गांव वासियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है की क्या प्रशासन किसी विशेष का पक्ष ले कर काम कर रहा है?

“पीड़ित किसान माननीय मुख्यमंत्री और विधायक महोदय से निवेदन करते है कि इस मामले में दखल दे कर पीड़ितों को राहत प्रदान करने की कृपा करे”
–  समस्त किसान ठोशम वासी हंसा

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