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हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट का गठन में देरी,सरकारी काम लटके, कई मंत्री पदो के पेच फंसे

हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट का गठन में देरी,सरकारी काम लटके, कई मंत्री पदो के पेच फंसे

शिमला (खबर आई )

हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट का गठन में देरी,सरकारी काम लटके, कई मंत्री पदो के पेच फंसे –
हिमाचल में कैबिनेट के गठन में देरी की वजह से प्रदेश में विकास कार्य ठप पड़े हैं। राज्य में पहले ही आदर्श चुनाव आचार संहिता के कारण लगभग 2 महीने तक विकास की रफ्तार पटरी से उतरी रही है। अब कैबिनेट गठन लटकने से कई जरूरी काम शुरू नहीं हो पा रहे। प्रदेश में मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री का चयन 10 दिसंबर को कर दिया गया है।
11 दिसंबर को दोनों की शपथ भी हो गई है। तब कहा जा रहा था कि दो-चार दिन में कैबिनेट का विस्तार हो जाएगा। मगर, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू अभी भी कैबिनेट का फैसला नहीं कर पाए है।
चिंता इस बात की है कि अगले कुछ दिन तक भी कैबिनेट विस्तार होने की संभावना कम नजर आ रही है, क्योंकि पार्टी में अंदरख़ाने मंत्रिमंडल को लेकर घमासान तेज हो गया है। शिमला जिले की वजह से सबसे ज्यादा मुश्किलें आ रही हैं।
आज भी मुख्यमंत्री दिल्ली में पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला के साथ कैबिनेट को लेकर चर्चा करेंगे। बीते कल भी राजीव शुक्ला से सहमति बनाने का प्रयास किया गया, मगर सहमति नहीं बन पा रही है। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष को लेकर घमासान छिड़ रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को लेकर घमासान
दरअसल,मुख्यमंत्री सुखविंदर मंत्री पद के दावेदारों में से 2 को विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर लगाना चाहते हैं। मगर, सभी मंत्री बनने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। इसलिए दिल्ली में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को लेकर घमासान तेज हो गया है, क्योंकि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों को धर्मशाला के तपोवन में शपथ दिलाई जानी है।
शिमला के कारण कैबिनेट में पेंच कैबिनेट विस्तार में सबसे बड़ा पेंच शिमला जिले के कारण है। यह पेंच सुखविंदर सुक्खू के करीबी रोहित ठाकुर व अनिरुद्ध सिंह, हॉलीलॉज के मोहन लाल ब्राक्टा तथा सोनिया गांधी के खास ठियोग के विधायक एवं पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर की वजह से माना जा रहा है, जबकि विक्रमादित्य सिंह का नाम लगभग तय है।
शिमला से 2 का मंत्री बनना तय है। यहां से अधिकतम 3 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जबकि यहां दावेदार 5 माने जा रहे हैं। सुखविंदर सुक्खू अब न तो अपने करीबी दोनों विधायकों को, न हॉली लॉज और न सोनिया गांधी के करीबी राठौर को नजरअंदाज कर पा रहे हैं।

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