गोची उत्सव 27 जनवरी से शुरू, यह उत्सव पुत्र प्राप्ति के लिए मनाया जाता है –

गोची उत्सव 27 जनवरी से शुरू, यह उत्सव पुत्र प्राप्ति के लिए मनाया जाता है –

 गोची उत्सव 27 जनवरी से शुरू –

यह उत्सव पुत्र प्राप्ति के लिए मनाया जाता है

लाहुल स्पीति, खबर आई

लाहुल स्पीति अपने पारंपारिक त्योहारों और उत्सवों के लिए माना जाता है लाहुल स्पीति के अलग-अलग घाटियों में अलग-अलग समय में पर्व और त्योहर मनाए जाते हैं। इन पर्व में से एक पर्व गाहर घाटी में मनाया जाने वाला गोची पर्व भी अपने आप में एक अनोखा पर्व है। जिला मुख्यालय केलांग में मनाया जाने वाला गोच़ी ( पुत्र उत्पति ) उत्सव इस महीने की 27 व 28 तारीख को मनाना जाना निश्चित हुआ है। लामा उपासक ने कहा कि इस दौरान पहले दिन सुबह सभी गांव‌वासी अपने अपने घरों से एक एक थाली सत्तू व घी ले जाकर ग्रामदेव ( युल-ल्ह ) व देवता तंगजर के नाम सत्तू का‌ पिण्ड ( ब्रनज्ञेस ) व घी का भेड़/ बकरा ( फोच़ी ) के साथ छंग‌ ( लुगड़ी ) के कर-छोल के साथ विधिवत पूजा स्तुति करते हैं।

 

देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते ग्रामीण

तत्पश्चात् शाम के समय सभी गांववासी ल्हब-दग ( देव पुजारी )व ल्ह उपा के साथ जिस घर में गोच़ी होती है, वहां ‌इकटठे होते हैं । इस तरह से गोच़ी त्यौहार का आगाज़ हो‌ जाता है। अगले दिन फिर से सूबह से ही देव‌ स्तुति व‌ पूजा विधि का रस्म निभाया जाने के बाद घर से बाहर निकल कर देवालय व देवता रूपी वृक्ष के पास जाकर पूजा विधि विधान सम्पन्न कर खुलच़ी ( मेमना की खाल में भूसा भरा हुआ ) में तीर मारने की‌ प्रथा के साथ गोच़ी समाप्त हो जाती है।

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