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गोविंद वल्लभ पंत पर्यावरण संस्थान मौहल में अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय दिवस के मौके पर संगोष्ठी का आयोजन

गोविंद वल्लभ पंत पर्यावरण संस्थान मौहल में अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय दिवस के मौके पर संगोष्ठी का आयोजन

कुल्लू, (खबर आई) रविवार को गोविंद वल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान मौहल द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय पर्वतीय दिवस’ का आयोजन किया गया। इस उपलक्ष पर संस्थान ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। जिसका विषय-पर्वतीय क्षेत्रों के विकास में महिलाओं का योगदान रहा। केंद्रीय प्रमुख ई. राकेश कुमार सिंह ने संस्थान की गतिविधियों और पर्वतीय दिवस के बारे में प्रतिभागियों को बताया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि व वक्ता ओशीन शर्मा खंड विकास अधिकारी नग्गर तथा आँचल ठाकुर अंतर्राष्ट्रीय स्की खिलाड़ी शामिल रहे। पर्वतीय दिवस’ के विषय महिलाएं पहाड़ों को चलती है को बढ़ावा देने के लिए कुल्लू जिला में अग्रिम रूप से व्यवसाय कर रही महिलाओं का स्वागत किया। जिन्होंने अपने व्यवसाय की सफलता की कहानी व् अनुभव को साँझा किया। सुनीता देवी, सरस्वती स्वयं सहायता समुह बंदरोल ने अपने ग्रामीण हाट के माध्यम से महिलाओं द्वारा बनाए गए पट्टू, मफलर व आचार इत्यादि सामान को मार्किट तक पहुंचा कर महिलाओं को सशक्त बनाया। सोनी महंत मां शेरा वाली समूह चौंग ने मधुमक्खी पालन में अपनी सफलता से सभी को आत्म निर्भर होने का संदेश दिया। प्रोमिला वैद्य, शक्ति महिला मंडल मौहल ने अपने गांव की सभी महिलाओं को आगे आने के लिए प्रेरित किया।

जिससे मौहल पंचायत की महिलाओं को वित्तीय उपलब्धता प्रदान की। दीन दयाल, (मधुमक्खी पालक, कराडसू) द्वारा हर वर्ष लगभग 500 महिलाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर महिलाओं को आगे निकलने का रास्ता दिखाकर सशक्त बनाने का सफल उदाहरण
पेश किया। आंचल ठाकुर ने अपनी स्की की शुरुआती सफ़र की चुनौतियों का संघर्ष सुना कर सभी लड़कियों को मुश्किलों से निकल कर पर्वतो की तरह विशाल नाम बनाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही अपने आंचल स्नो स्पोर्ट्स की जानकारी साझा कर पर्वतों को बचाने के साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण की ताकत को सुदृढ़ बनाने के प्रयास को प्रबल किया। ओशीन शर्मा, बीडीओ नग्गर ने पंडित नेहरू की बात महिलाएं चलती है तो परिवार चलता है, परिवार चलता है तो गांव चलता, राष्ट्र चलता है, पूरा देश चलता है, को सही स्वरूप देकर
कहा कि कुल्लू जिला की अर्थव्यवस्था को महिलाओं द्वारा चलाया जाता है। हर विभाग में महिलाओं के बढ़ते योगदान की सराहना की। जिसकी प्रेरणा पहाड़ों से ही मिलती है और इसका सरंक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। महिला किसान अवैतनिक मजदूर न बने और अपना रास्ते खुद बनाए” बात कह कर अपनी बात संपन्न की। इस कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ वसुधा अग्निहोत्री, डॉ रेनू नेगी व डॉ केसर चंद, तकनिशियन डॉ किशोर कोठरी और संस्थान के शोधार्थी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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