मुख्य समाचार

पशु सखी एवं कृषि सखी बनकर महिलाएं बन रही कृषकों एवं पशुपालकों की मददगार

पशु सखी एवं कृषि सखी बनकर महिलाएं बन रही कृषकों एवं पशुपालकों की मददगार
  • पशु सखी एवं कृषि सखी बनकर महिलाएं बन रही कृषकों एवं पशुपालकों की मददगार-

  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत पाया प्रशिक्षण। पारंपरिक चूल्हे चौके जैसे कामों के साथ अब अपने हुनर के दम पर  स्वावलम्बी बन रहीं ग्रामीण महिलाएं –

कुल्लू, खबर आई ब्यूरो

       विश्व में जहां हर क्षेत्र में महिलाएं अपने हुनर एवं मेधा के दम पर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं वहीं पर हमारे देश में भी महिलाएं किसी क्षेत्र में पुरुषों से कहीं कम नहीं। इसी प्रकार से पारंपरिक कार्यों की सीमाओं से हटकर महिलाएं उन कार्यों को भी सफलतापूर्वक एवं पूर्ण दक्षता के साथ  निभा रही हैं जिनमें कभी पुरुषों का वर्चस्व समझा जाता था। इसी प्रकार से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत प्रशिक्षण पाकर पशु सखी के रूप में अपनी सेवाएं दे रही महिलाएं भी स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं।
  परियोजना अधिकारी जिला ग्रामीण अभिकरण कुल्लू, डॉ0 जयवंती ठाकुर का कहना है कि पशु सखी एवं कृषि सखी का प्रशिक्षण पाने के बाद इन महिलाओं की आमदनी भी बहुत अच्छी होने लगी जिससे घर-परिवार को भी आर्थिक रूप से संबल मिला। उन्होंने बताया कि एनआरएलएम के तहत पशु सखी एवं कृषि सखी के प्रशिक्षण लिए लक्ष्य दिया गया था जिसके तहत आज कुल 64 पशु व कृषि सखी प्रशिक्षण पाकर विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
     यह लोग एक पैरा स्टाफ की तरह काम करते हैं तथा दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में यदि किसी तरह की पशु स्वास्थ्य – सम्बंधी पैरामेडिकल सेवाओं की आवश्यकता होती है अथवा कोई इमरजेंसी आती है तो यह अपनी सेवाएं देती हैं। यह एक सफल योजना रही है जिसका समाज को लाभ मिल रहा है। वे बताती हैं कि इस योजना के अंतर्गत अब हम आनी व निरमंड ब्लॉक में प्रशिक्षण आयोजित करेंगे जिसमें की आनी के लिए 12 तथा के निरमंड लिए 10 पशु सखी को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।
     इसके लिए इनको प्रशिक्षण के साथ-साथ समय-समय पर इनके हुनर को अपडेट किया जाता है तथा पशुपालन विभाग तथा कृषि विभाग के साथ इन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। हाल ही में पशुओं में फैले लंपी वायरस एवं मुंहपका तथा खुरपका रोग के दौरान पशु सखियों ने सराहनीय सेवाएं दी हैं इनकी मदद से पशुओं को 42000 टीके  लगाए  गए हैं। इन पशु सखियों को प्रत्येक 20 दिन के एक राउंड के लिए 7500 रुपये का मानदेय दिया जाता है तथा अभी तक प्रत्येक के छह राउंड पूरे हो चुके हैं।
   कोली बेहड़ की सुनीता ठाकुर का कहना है कि हमें पशु सखी के लिए डीआरडीए कुल्लू द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था जिसमें हमें पशुओं में होने वाली बीमारियों तथा उनकी रोकथाम के बारे में, उनके टीकाकरण के बारे में जानकारी दी गई है इसके साथ ही पशुओं में नस्लों का सुधार कैसे किया जाए इसका भी हमें प्रशिक्षण दिया गया है। जिसके उपरांत हम अपनी  पंचायत के सभी गांव में जाकर इन सभी बीमारियों तथा इनके लक्षणों के बारे में ग्रामीणों को जानकारी देते हैं।
    पशुओं में मुंहपका- खुरपका रोग की बीमारी को लेकर भी हमने गांव- गांव में शिविर लगवाएं हैं तथा महिला पशु किसानों को विशेष रुप से पशुओं में होने वाली बीमारियों की जानकारी तथा उनके लक्षणों के बारे में बताते हैं इसके साथ – साथ ही हम 500 पशुओं को अभी तक टीकाकरण कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त यदि कोई पशु बीमार है तो हम उनकी स्थिति को भी देखते हैं, प्रारंभिक उपचार की व्यवस्था करते हैं यदि यह बीमारी कोई गंभीर बीमारी है तो हम उन्हें पशु चिकित्सक के पास भेजते हैं।
ग्राम पंचायत मोहल की हेमलता का कहना है जिला ग्रामीण अभिकरण द्वारा हम लोगों को प्रशिक्षण दिया गया था ताकि पशु सखी के रूप में हम गांव-गांव में जाकर लोगों के पशु में होने वाले रोगों के बारे में जानकर उनका प्रारंभिक उपचार करें तथा आवश्यकता पड़ने पर बीमार पशु का टीकाकरण कर सके और उन्हें उचित दवाइयां दे सकें। हम लोग गांव- गांव में जाकर कार्य करते हैं तथा पिछली बार हमने 1300 टीकाकरण किया गया था इस बार हमने 900 से अधिक पशुओं में टीकाकरण किया है तथा इसके अतिरिक्त लंपी वायरस का भी टीकाकरण किया। अब हम लोग समय समय पर गांव गांव जाकर बीमार पशुओं का उपचार करते हैं, उनका टीकाकरण करते हैं आवश्यकता पड़ने पर हम मोबाइल फोन पर वेटरनरी फार्मासिस्ट से मदद लेते हैं तथा यदि पशु अधिक बीमार है तथा गंभीर है तो हम उसे पशु चिकित्सक के पास भेजते हैं।
    ग्राम पंचायत के तेगु बेहड़ निवासी सोनिया प्रशिक्षण
इस पाने के पश्चात पशु सखी के रूप में कार्य कर रही हैं। इनका कहना है कि कुल्लू जिला में डीआरडीए द्वारा हम महिला पशु सखियों को प्रशिक्षण दिया गया था। हमारा कार्य लोगों को पशुओं के रोगों  के बारे में जानकारी देना है। हम लोगों को पशुओं की देखभाल, स्वास्थ्य, तथा रोगों की रोकथाम देने के बारे में लोगों को जागरूक करते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर बीमार पशुओं को प्राथमिक शिक्षा दवाइयां तथा टीकाकरण करते हैं। हम लोग वैक्सीनेशन, टैगिंग के साथ-साथ मुंहपका खुरपका रोग की दवाइयां भी गांव-गांव तक पहुंचाते हैं।

About The Author

खबर आई एक सामाजिक सेवाओं और जनमानस के लिए काम करने वाली समाचार संस्था है। हम शिक्षा, मनोरंजन, राजनैतिक, पर्यावरण और प्रेरणा पर आधारित जानकारी के साथ-साथ नवीनतम समाचार प्रदान करते हैं।

Related posts