वनाधिकार सामुदायिक दावों के संदर्भ में उपायुक्त से मिला वन अधिकार समितियों का प्रतिनिधिमंडल –
कुल्लू, खबर आई
लोगों के सामुदायिक वनाधिकार मामलों को दुरूस्त करने को लेकर वन अधिकार समितियों एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त आशुतोष गर्ग से मिला। यह प्रतिनिधिमंडल हिमालय नीति अभियान के सचिव संदीप मिन्हास और सहारा संस्था के निदेशक राजेंद्र चौहान की अध्यक्षता में मिला। प्रतिनिधि मंडल ने बंजार में 24 सामुदायिक वनाधिकार दावों को स्वीकृति देने के लिए आभार
व्यक्त किया। इसके साथ ही मान्यता पत्रों में रही त्रुटियों को ठीक करने का आग्रह किया। जिस पर उपायुक्त ने अगली बैठक में कानून के मुताबिक त्रुटियों को दुरूस्त करने का भरोसा दिया। वहीं, उपायुक्त से मुलाकात के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए संदीप मिन्हास ने बताया कि वर्ष 2006 से लेकर वन अधिकार कानून लागू हुआ है। जिसके तहत वर्ष 2012 से लेकर वनाधिकार समितियां बनाने का सिलसिला शुरू हुआ है। लेकिन अभी तक वन अधिकार समितियों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। ऐसे में वनाधिकार कानू को लागू करने में वनाधिकार समितियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
बताया कि प्रशासन की ओर से जारी एक नोटिफिकेशन
में यह कहा गया है कि जहां वनाधिकार दावे पेश नहीं किया गये हैं वहां की दावा क्लेम रिपोर्ट में कोई दावा न होने की रिपोर्ट लिख कर दी जाए। इस नोटिफिकेशन पर सवालिया निशान लगाते हुए उन्होंने कहा है कि जब वन अधिकार समितियों को इस संदर्भ में प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया है। तो फिर कोई दावा न होने की रिपोर्ट मांगना तर्कसंगत नहीं है। कहा कि जब तक लोगों के वन अधिकार सेटल नहीं हो जाते, तब तक इस तर कर रिपोर्ट मंगवाना सरासर गलत है। मिन्हास ने बताया कि उन्होंने उपायुक्त से आग्रह किया है कि वह वन अधिकार समितियों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगवाएं।
कुल्लू के वन अधिकार दावों की नहीं हुई सुनवाई संदीप मिन्हास ने कहा कि हालांकि बंजार उपमंडल की वनाधिकार समितियों द्वारा पेश किए गए 24 सामुदायिक दावों की सुनवाई हो चुकी है। लेकिन कुल्लू उपमंडल के पीज, बाराहार, मणिकरण व पुईद की वनाधिकार समिति द्वारा पेश किए गए दावों कि अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। जबकि यह दावे बीते वर्ष सितंबर माह से किए गए हैं। इसके अलावा बंजार विधानसभा क्षेत्र की 24 दावों जिनकी सुनवाई हो चुकी है उनमें कुछ त्रुटियां रह गई थी, उन्हें भी दूर करने की मांग की है।
यह मांग भी की इस मौके पर इस प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग की है कि वन अधिकार कानून में जो अधिकार मिले हैं, उन सभी अधिकारों को प्रमुखता से लागू किया जाए। जिसमें व्यक्तिगत अधिकार, सामुदायिक अधिकार, वन प्रबंधन और विकास का अधिकार शामिल है। उन्होंने कहा कि उपायुक्त ने उनकी बातों को ध्यान से सुना और उन पर गौर करने का भी भरोसा दिया है।