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108 एम्बुलेंस कर्मचारियों की चेतावनी, मांगे नहीं मानी तो बंद की जाएगी एम्बुलेंस सुविधा – सुनील कुमार
शिमला, खबर आई
108 एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि आने वाले समय में 108 एम्बुलेंस जो प्रदेश की जनता को रात दिन बेहतर सुविधाएं दे रही है, अपने अधिकारों के चलते आने वाले दिनों में यह सुविधा नहीं दे पाएंगे। हिमाचल प्रदेश 108 एम्बुलेंस यूनियन के अध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा कि एम्बुलेंस के स्टाफ ने सपष्ट किया है की पिछले 14 सालों से उन्होंने लोगों की सेवा की है, पर सरकार ने इस सेवा को हमेशा अनदेखा करते हुए इसकी मैनेजमेंट कंपनी के हाथों दी है। उन्होंने कहा कि पहले gvk कंपनी ने हम कर्मचारियों का शोषण किया अब medshwan कंपनी शोषण कर रही है। सरकार से बात करने पर सरकार का व्यवहार ऐसे सामने आता है जैसे एम्बुलेंस के कर्मचारी किसी दूसरे प्रदेश से आकर यहाँ रह रहे है। जिनसे सरकार के इस रवैए से हताशा होकर कर्मचारी अब उगर प्रदर्शन करने जा रहे है। यूनियन के अध्यक्ष ने कहा कि एम्बुलेंस स्टाफ से बारह घंटे की सेवा ली जाती है और लेबर लॉ के हिसाब से सैलरी नहीं दी जाती है। एम्बुलेंस स्टाफ की मांग है की ड्यूटी 8 घंटे ली जाए, भविषय में कोई भी कंपनी हमारे किसी भी साथी को बिना कारण से ना निकाला जाए, और हमारे एरियर का भुगतान भी जल्द किया जाए। उन्होंने यही भी स्पष्ट रूप से कहा कि हमारे निकाले हुए साथियों को वापिस लिया जाए।
यूनियन ने कहा अभी तक एम्बुलेंस स्टाफ पेन डाउन स्ट्राइक पर गया है अगर मांगे ना मानी गयी तो स्टाफ पुरे हिमाचल में अपनी सेवाएं देना बंद कर देगा। अगर इस दौरान किसी भी तरह की कोई आपातकाल घटित होती है तो नेशनल हेल्थ मिशन शिमला, मेडशवान कंपनी धर्मपर और हिमाचल सरकार जिम्मेवार होंगी। अध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा कि 108 एम्बुलेंस का स्टाफ जनता की सेवा करता रहा है और आगे भी करता रहेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पीड़ित लोगों को अस्पतालों तक हम कर्मचारियों ने ही पहुंचाया था। 108 एंबुलेंस के कर्मचारी ने अपनी जान की परवाह किए बिना और न ही कर्मचारियों की कोई जीवन सुरक्षा बीमा सुविधा मिले लगातार सेवा करते रहें। अध्यक्ष ने कहा कि क्या हम लोगो को अपने परिवार की जीवन यापन चलाने का हक भी नहीं मिलना चाहिए?
अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि इमरजेंसी के नाम पर सिर्फ लूटबाजी है। ये कहना है 108 एम्बुलेंस यूनियन का का कहना है कि कंपनी को सिर्फ पैसे से मतलब है। मरीज़ों को एम्बुलेंस के अंदर उपचार तो मिल ही नहीं रहा है, एम्बुलेंस के स्टाफ में प्रोफेशनल स्टाफ रखा गया है पर उन्हें काम करने के लिए पुरे इंस्ट्रूमेंट्स ही नहीं दिए गए है जो है वो काम ही नहीं कर पाते। कंपनी के रात में डॉक्टर उपलब्ध नहीं होते ताकि जनता को घर से ही उपचार मिलना शुरू हो जाए, सरकारें कंपनी को टेंडर दे देती है उसके बाद कंपनी क्या कर रही है कुछ डिटेल नहीं ली जाती और प्रदेश की जनता की जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कई बार एम्बुलेंस नार्मल मरीज़ के साथ बिजी होती है और जो सच में मरीज़ सीरियस होता है उसे एम्बुलेंस ही नहीं मिल पाती। उनका कहना है की आगे बरसात आने वाली है सांप के काटने के इंजेक्शन तक एम्बुलेंस में उपलब्ध नहीं है। किस चीज़ की इमरजेंसी की एम्बुलेंस रह गयी है ये कोई भी सरकार आँख और कान बंद कर लेती है। अपनी जनता का हाल तक नहीं पूछती है। सरकार कंपनी को टेंडर तो दे देती है उस पर निगरानी नहीं रखती।